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लेखनी कहानी -25-Jun-2024

शीर्षक - षड्यंत्र


जीवन के सफर में हम सभी के साथ साथ षडयंत्र रहते हैं। और हम सभी अपने जीवन में अपनों के साथ ही षडयंत्र के शिकार होते हैं। बस फिर भी जीवन में हम सभी अपने अपने स्वार्थ रखते हैं और एक दूसरे के लिए षडयंत्र करते रहते हैं।‌जबकि हम सभी जानते हैं कि एक उम्र और समय का बदलाव सबके साथ होता है और हम सभी इतिहास को जानते हैं। बस हम सभी का जूनुन उत्तेजना और आकर्षण के साथ अपने शरीर का घमंड हमें कभी भी सही मायने न समझने देता है और हम कल की सोच बना कर अपने जीवन में स्वार्थ और षडयंत्र की राह पर चलते रहते हैं। और दूसरों से फायदा और नुकसान देकर हम मन भावों में खुशी महसूस करते हैं। आओ षड्यंत्र की सोच और कहानी पढ़ते हैं जोकि काल्पनिक चरित्र और नैतिकता के साथ शब्दों को उनके साथ सोच और समझ के साथ मनोरंजन की राह पर लिखी है अगर हम पाठकों में से ऐसा प्रतीत और प्रेरणा हो तब वह एक संयोग मात्र हो सकता है। रमन एक बहुत ही खूबसूरत नौजवान मर्द था उसके जीवन का लक्ष्य केवल दूसरे लोगों को परेशान और दुखी करना रहता था। क्योंकि बचपन से वह अपने सभी मित्रों और परिवार में स्वार्थ और फरेब के साथ ही बढ़ा हुआ था और वह अपने जीवन में अपने को सबसे ज्यादा सही और सच समझता था। बस रमन अपने परिवार और माता-पिता की बात भी नहीं मानता था। और बस अपनी सोच और धुन में मगन रहता था। वह किसी भी नारी को सम्मान न देता और न ही किसी को सही समझता था। बस लोगों से अपने फायदे उठाना और उनको बेवकूफ बनाकर धन और संपत्ति का कब्जा करना और फिर उनके साथ झूठ फरेब करना यह रमन‌ की आदत थी। और लोग भी उसका ऐसे इस्तेमाल करते थे। उसी गांव में एक सुजाता नाम की अधेड़ महिला रहती थी। वह बिना ब्याही मां थी और सभी उसे भाभी चाची कहते थे। परन्तु उसके बच्चे आजतक किसी ने न देखें और न ही उसका पति किसी ने देखा था। बस सभी यह जानते थे कि वह सबकुछ छोड़कर गांव में रहने आयी हैं । रमन‌ तो जीवन में बहुत स्वार्थ और फरेब रखता था। सुजाता एक दिन रमन से कहती हैं कि वह शहर से जमीन का बैनामा करा दे उसे पढ़ना लिखना न आता हैं। रमन सुजाता के लिए गलत निगाह रखता था जबकि दोनों की उम्र में १० १२ वर्ष का अंतर था रमन कुंवारा था न शादी शुदा क्योंकि वह एक अय्याश आदत का था। और सुजाता को लेकर बैनामा कराने शहर ले जाता है और मन‌ही मन उसे हमबिसतर करने का षडयंत्र मन में सोच बना लेता है। और उधर वह काम कराने के लिए सुजाता से रात के लिए राजी कर लेता है। बेचारी सुजाता रमन से हां भर देती हैं। और रमन अपने साथ बैनामा करा कर रात के समय तक घर आकर सुजाता से अपना काम के साथ वादा निभाने को कहता है। रमन को वह कमरे में ले जातीं हैं और दोनों एक सागर की लहरों की उमंग भरकर मस्त हो जाते हैं। सुबह जब रमन से सुजाता जाने को कहती हैं। तब रमन अपनी और सुजाता की हम बिस्तर वीडियो दिखाया है और कहता है भाभी अब तो हमारा तुम्हारा लेन देन चलता रहेगा। इस पर सुजाता कहतीं हैं रमन जो वादा था वो पूरा किया यह तो तुने षड्यंत्र रचा है मेरे शरीर को हवस बनाने का तब रमन हंसता है और कहता है सब कुछ सही है जीवन में ऐसा ही सही है। और सुजाता भी मन ही मन एक पडयंत्र सोच लेती हैं। और रमन से कहती हैं कोई बात नहीं आज मैं अपनी मरजूसे खुश कर दुंगी। रमन भी नारी सुजाता की बात में और हवस की भूख में धोखे में आ जाता हैं। सुजाता मन ही मन रमन को रास्ते से हटाने का मन बना चुकी होती हैं। और रात को रमन जब सुजाता के घर आता है तब सुजाता रमन को दूध का गिलास देती हैं। परन्तु रमन दूध का गिलास लेकर सुजाता को बाहों में भरकर आधा गिलास दुध पिलाकर खुद पी जाता है। बस सुजाता को भी न मालूम था कि उसे भी दूध पीना पड़ेगा। और बस जहर मिला दूध वो भी पी जाती हैं और रमन सुजाता दोनों ही पडयंत्र का शिकार हो जाते हैं। बस इस कहानी षडयंत्र से यही प्रेरणा मिलती हैं। आधुनिक समय में हम सभी अपने जीवन को स्वतंत्र और स्वार्थ के साथ साथ चालाक या किसी की मजबूरी का फायदा उठाते हैं तब कुदरत फैसला खुद ही कर देती हैं। षडयंत्र रचने वाला और षडयंत्र करने वाला भी गुनहगार होते हैं। बस हम सभी अपने जीवन में स्वार्थ और फरेब रखते हैं परन्तु समय और कुदरत अपने नियम और व्यवस्था को लेकर निर्णय समय पर कर देते हैं। सच तो जीवन के पथ पर कुछ नहीं है। फिर भी हमारे मन और विचारों में लालच ही षडयंत्र को बनाता है।


नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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3 Comments

Babita patel

03-Jul-2024 09:04 AM

👌👌👍

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shweta soni

30-Jun-2024 10:35 PM

Behtreen 👌👌

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Mohammed urooj khan

25-Jun-2024 11:30 PM

👌🏾👌🏾

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